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Bujha Charag Hoon

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Highlights

  • ISBN13:9789386870506
  • ISBN10:9386870509
  • Publisher:Prabhat Prakashan
  • Language:Hindi
  • Author:Shailja Narhari
  • Binding:Paperback
  • Pages:112
  • SUPC: SDL649869757

Other Specifications

Other Details
Country of Origin or Manufacture or Assembly India
Common or Generic Name of the commodity General Fiction
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Marketer's Name & Address
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Description

उसके हाथों में हाथ था लेकिन\nदिल ही दिल में हज़ार डर आए\n—शैलजा नरहरि\nवरिष्ठ ग़ज़लकार श्री नरहरि अमरोहवी जी की जीवनसंगिनी शैलजा नरहरि ने नारी-जीवन के द्वंद्व और पीड़ा को अपनी ग़ज़लों की विषयवस्तु बनाया। शैलजा नरहरि जी ’90 के दशक तक देश के विभिन्न मंचों पर खूब सक्रिय और चर्चित रहीं। मंचों पर बढ़ती हुई फूहड़ता से खिन्न होकर धीरे-धीरे उन्होंने ख़ुद को मंचों से अलग कर लिया और पूर्णकालिक साहित्य-सृजन में व्यस्त हो गईं। एक धीर-गंभीर शायरा के प्रति अपनी विनम्र श्रद्धांजलि स्वरूप, उनकी क़रीब 400 ग़ज़लों में से कुछ चुनिंदा ग़ज़लों का चयन और संपादन करके मैंने यह संग्रह सुधी पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया है।\nमुझे विश्वास है कि पाठकों को ग़ज़लों का यह संग्रह पसंद आएगा।\n—दीक्षित दनकौरी\nदिल्ली\nमो. : 9899172697\nमुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि ‘ग़ज़ल कुंभ 2020’ में इस बार वरिष्ठ शायरा (स्व.) शैलजा नरहरि जी की चुनिंदा ग़ज़लों का पहला ग़ज़ल-संग्रह प्रख्यात ग़ज़लकार दीक्षित दनकौरी जी के संपादन में प्रकाशित हो रहा है।\nबुझा चरा़ग हूँ अब मेरी ज़िंदगी क्या है\nकोई न मुझसे ये पूछे कि रौशनी क्या है\n*****\nमेरे बिकने का ज़िक्र जायज़ है\nमेरे माथे पे मेरे दाम लिखो\nजैसे मार्मिक शे’रों के माध्यम से मानवीय मन, विशेषकर नारी-मन के दर्द और द्वंद्व को व्यक्त करनेवाली उस दिवंगत आत्मा को विनम्र श्रद्धांजलि।\nदीक्षित दनकौरी जी को इस श्रमसाध्य नेक काम के लिए साधुवाद, कि उन्होंने एक और अच्छी शायरा के कलाम से ग़ज़ल-प्रेमी पाठकों को रू-ब-रू कराया।\n‘ग़ज़ल कुभ 2020’ के सफल और सार्थक आयोजन के लिए शुभकामनाओं के साथ नववर्ष 2020 की हार्दिक बधाई एवं मंगलकामना।\n —बसंत चौधरी\n1 जनवरी, 2020

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