Cart
Sign In

Sorry! Paryavaran : Satat Vikas Evam Jeevan is sold out.

Compare Products
Clear All
Let's Compare!

Paryavaran : Satat Vikas Evam Jeevan

This product has been sold out

pay
Rs  387
We will let you know when in stock
notify me

Featured

Highlights

  • ISBN13:9789386870698
  • ISBN10:938687069X
  • Publisher:Prabhat Prakashan
  • Language:Hindi
  • Author:Dr. Dina Nath Tewari
  • Binding:Hardback
  • Pages:224
  • SUPC: SDL364739485

Other Specifications

Other Details
Country of Origin or Manufacture or Assembly India
Common or Generic Name of the commodity Environmental Studies Books
Manufacturer's Name & Address
Packer's Name & Address
Marketer's Name & Address
Importer's Name & Address

Description

दुनिया के 184 देशों के पंद्रह हजार से ज्यादा वैज्ञानिकों ने बढ़ती आबादी और प्रदूषण के चलते बदलते पर्यावरण को मानव-अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया है। पर्यावरण पर पड़ रहे घातक असर अल्पकालीन नहीं हैं, ये दूर तक जाएँगे और इनका सीधा असर गरीब ही नहीं, बल्कि अमीर भी भुगतेंगे।

सुखद बात यह है कि विश्व स्तर पर राष्ट्रों ने ‘सतत विकास 2030’ का एजेंडा अपनाया है तथा जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने हेतु ‘पेरिस समझौता 2015’ के अंतर्गत विश्व तापमान को 2 सेंटीग्रेड से कम रखने का निश्चय किया है। भारत ने इंटरनेशनल सोलर एलायंस की स्थापना करके सौर ऊर्जा के उत्पादन में भारी सफलता अर्जित की है। देश में बढ़ती हरियाली, बाघों की बढ़ती संख्या, नदियों का जुड़ना, स्वच्छ भारत अभियान, नमामि गंगे, स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण एवं समुचित उपभोग ने पर्यावरण के सतत विकास हेतु हमारी प्रतिबद्धता बढ़ाई है।

पर्यावरण के प्रति जागरूकता उत्पन्न करनेवाली पठनीय कृति।

About the Author

डॉ. दीनानाथ तिवारी का बचपन गांधी आश्रम में बीता, जहाँ उन्होंने सीखा कि ‘समरस जीवन शैली का पालन करना हमारे लोकाचार का अंग है।’ रोजगार के अनेक विकल्प उपलब्ध होने पर भी डॉ. तिवारी ने भारतीय वन सेवा को चुना, ताकि स्वस्थ एवं स्थिर पर्यावरण बनाने में योगदान दे सकें। वन, पर्यावरण, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, जैविक विविधता का हृस, मरुस्थलीकरण, भूमि व जल के संरक्षण, आपदाएँ आदि विषयों पर उन्होंने 104 पुस्तकें लिखीं तथा जनजागरण हेतु निम्नांकित राष्ट्रीय अभियानों को आगे बढ़ाया—

• हरित भारत अभियान के अंतर्गत सामाजिक वानिकी, नगर वानिकी, कृषि वानिकी एवं वनवासियों की सहभागिता से वन प्रबंधन।

• जल ही जीवन है, परंतु जल प्रदूषण अभी प्रतिदिन 14000 से अधिक लोगों की मृत्यु का कारण बनता है। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी समिति की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने नदियों की स्वच्छता एवं अविरलता पर विशेष जोर दिया। गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित किया गया एवं राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा अभियान शुरू हुआ।

• जलवायु परिवर्तन एवं वैश्विक तापमान बढ़ने से बाढ़, तूफान, सूखा आदि की घटनाएँ बढ़ रही हैं। सुरक्षात्मक उपाय के रूप में सौर एवं पवन ऊर्जा तथा क्त्रश्वष्ठष्ठ+ योजनाओं को बढ़ावा दिया।

संप्रति ‘उत्थान’ तथा ‘विज्ञान परिषद्’

के अध्यक्ष हैं। उन्हें पर्यावरण संरक्षण हेतु

अनेक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं।

Terms & Conditions

The images represent actual product though color of the image and product may slightly differ.

Quick links

Seller Details

View Store


Expand your business to millions of customers