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Poorvottar Bharat Mein Ugravad

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Highlights

  • ISBN13:9789387980716
  • ISBN10:9387980715
  • Publisher:Prabhat Prakashan
  • Language:Hindi
  • Author:Rajeev Bhattacharyya
  • Binding:Hardback
  • Pages:248
  • SUPC: SDL207380468

Other Specifications

Other Details
Country of Origin or Manufacture or Assembly India
Common or Generic Name of the commodity Poetry
Manufacturer's Name & Address
Packer's Name & Address
Marketer's Name & Address
Importer's Name & Address

Description

इस पुस्तक में म्याँमार के ऐसे दुर्गम और अनजान क्षेत्र की यात्रा का आँखों देखा विवरण है, जहाँ पर पूर्वोत्तर में सक्रिय एन.एस.सी.एन., उल्फा, पी.एल.ए. समेत एक दर्जन से अधिक उग्रवादी संगठनों के साथ म्याँमार में सक्रिय के.आई.ए. के शिविर हैं। उग्रवाद की वजह से पूर्वोत्तर का सामान्य जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ। वहाँ के लोग मुख्यधारा से कटे रहे। हिंसा में हजारों निर्दोष लोग मारे गए। यह इलाका भले ही म्याँमार की सीमा के अंदर है, लेकिन वहाँ पर उग्रवादियों का शासन चलता है। स्थानीय समाज और उग्रवादी संगठनों के बीच सहजीवन का रिश्ता है। मेरी यह यात्रा खड़ी पहाड़ी, तीखे ढलान, घने जंगल और पहाड़ी नदियों के बीच से गुजरी। इस पुस्तक में उस क्षेत्र के बारे में दुर्लभ जानकारी दी गई है। उल्फा के शिविर में इसके प्रमुख परेश बरुआ से कई हिस्सों में हुई बातचीत से अब तक उल्फा आंदोलन, उनकी गलतियों तथा आंदोलन की मौजूदा स्थिति के बारे में महत्त्वपूर्ण मूल्यांकन करने में मदद मिलेगी। पुस्तक के माध्यम से उन इलाकों में विकास से कटे रहनेवाले स्थानीय लोगों की जीवन-शैली और जद्दोहजद को भी समझने में मदद मिलेगी।

लंबे समय तक उग्रवाद का दंश झेलनेवाले पूर्वोत्तर भारत की व्यथा-कथा का जीवंत परिचय देती है यह पुस्तक।

About the Author

राजीव भट्टाचार्य गुवाहाटी के वरिष्ठ पत्रकार हैं। उन्होंने ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’, ‘द टेलीग्राफ’, ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ व ‘टाइम्स नाउ’ में काम किया है। वे ‘सेवन सिस्टर्स पोस्ट’ के संस्थापक कार्यकारी संपादक थे। सन् 2004-05 में उनका चयन यूके सरकार द्वारा प्रायोजित ‘चेवेनिंग फेलोशिप’ के लिए हुआ, जिसे यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टमिस्टर के हैरो कैंपस (लंदन) में सफलतापूर्वक पूरा किया तथा ब्रिटिश सरकार आइरिश रिपब्लिक आर्मी (आईआरए) के बीच की शांति प्रक्रिया पर एक विशेष पर्चा तैयार किया। वे पर्यावरण कार्यकर्ता के साथ-साथ इस मुद्दे पर उत्तर-पूर्व भारत के प्रतिष्ठित संस्थानों में व्याख्यान देते हैं।



अनुवादक के बारे में

पूर्वोत्तर की हिंदी पत्रकारिता का परिचित नाम। उग्रवाद, गुटीय संघर्ष, जातीय हिंसा एवं पूर्वोत्तर की बहुरंगी संस्कृति पर ‘आउटलुक’, ‘नई दुनिया’, ‘दैनिक भास्कर’, ‘हिंदुस्तान’ सहित विभिन्न राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में लेखन एवं बीबीसी (हिंदी), वॉइस ऑफ अमेरिका, डच वैले व दूरदर्शन के लिए रिपोर्ताज प्रेषण। पूर्वोत्तर के जीवन पर आधारित पुस्तक ‘लाल नदी, नीले पहाड़’ का लेखन एवं ‘उलुपी’ (पत्रिका) का प्रकाशन। कई पुस्तकों का असमिया से हिंदी में अनुवाद। संप्रति गुवाहाटी से प्रकाशित ‘दैनिक पूर्वोदय’ के संपादक।

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