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Prem Naam Hain Mera - Prem Chopra (Hindi) Paperback by Rakita Nanda & Shruti Agarwal

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Highlights

  • ISBN13:9789381490228
  • ISBN10:9381490228
  • Age:15+
  • Publisher:Yash Publishers
  • Language:Hindi
  • Author:Rakita Nanda and Shruti Agarwal
  • Binding:Paperback
  • Pages:268
  • Edition:2020
  • Edition Details:2020
  • SUPC: SDL576713251

Other Specifications

Other Details
Country of Origin or Manufacture or Assembly India
Common or Generic Name of the commodity Biographies & Autobiographies
Manufacturer's Name & Address
Packer's Name & Address
Marketer's Name & Address
Importer's Name & Address

Description

एक खलनायक, पर्दे पर जिन्हें देखते ही सिनेप्रेमी सहम जाते हों। साजिश रचते, खुराफात करते देख चीखें निकल जाती हों। रुपहले पर्दे पर जिसकी धमक आपके चेहरे की रंगत को फीका कर देती हो। अभिनेता के अभिनय का चरम है लेकिन सौम्य व्यक्तित्व के पारिवारिक इंसान के लिए असहनीय। एक साफ-सुथरे व्यक्तित्व के इंसान के लिए अपने किरदार पर उठी एक अंगुली बर्दाश्त के बाहर होती है, यहां सारा किरदार ही ग्रे और ब्लैक शेड को अपने अंदर समाहित किए हुए। आखिर कौन हैं प्रेम चोपड़ा? किस तरह का है उनका वास्तविक किरदार? प्रेम चोपड़ा की जिंदगी से जुड़े इन्हीं सवालों को हल करने का आमंत्रण देती है यह किताब। 'प्रेम...प्रेम नाम है मेरा...प्रेम चोपड़ा...' यह वाक्य जब सिल्वर स्क्रीन में गूंजता था तो ड्रेस सर्कल से लेकर बॉलकनी, यहां तक कि बॉक्स में बैठे दर्शकों के रोंगटे खड़े हो जाते थे कि पता नहीं अब यह क्या खुराफात करेगा। रूपहली दुनिया के अनदेखे किस्से अपने अंदर समाहित की हुई, इस किताब के जरिए एक अद्भुत यात्रा पर निकलने वाले हैं। यात्रा एक ऐसे किरदार की जिसने सदी के महानतम विरोधाभासों को जिया है। रकिता नंदा रकिता नंदा ने 'मॉस कॉम' में अपनी पढ़ाई पूरी की है। वे सक्रीय पत्रकारिता में नहीं रहीं लेकिन पर्दे के पीछे उन्होंने कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। उन्होंने वेबसाइट डिजाइनर के रूप में दस वर्ष तक काम किया है। साथ ही बाबा डिजिटल में भी मार्केटिंग मैनेजर का उत्तरदायित्व बखूबी निभाया है। इस दायित्व के समय उन्होंने कई बड़ी कंपनियों की प्रिटिंग यूनिट को संभाला है, जिनमें रिलाइंस, कोका कोला, टाइम्स ऑफ इंडिया, आई.सी.आई.सी.आई बैंक जैसे नाम प्रमुख्य हैं। ये रकिता नंदा की पहली किताब है, जिसमें उन्होंने अपने पिता की जिंदगी को उकेरा है।

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