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Shakti Charit

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Highlights

  • ISBN13:9789388497411
  • ISBN10:9388497411
  • Publisher:Zorba Books
  • Language:Hindi
  • Author:पं.महेश देवलिया
  • Binding:Paperback
  • Pages:508
  • Sub Genre:Religion
  • Edition:1
  • SUPC: SDL785431713

Other Specifications

Other Details
Country of Origin or Manufacture or Assembly India
Common or Generic Name of the commodity Spirituality
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Description

"गं गणपतये नमः,गौ गौर्ये नमः,गुं गुरवे नमः,ऐं सरस्वत्यै नमः- ।।श्री सत् शक्ति सुहावनी जयते।। – शक्ति चरित ग्रन्थ परिचय – शक्ति चरित ग्रन्थ (Shakti-Charit )की रचना जो कि रामायण की भाषा शैली में है दिनांक 28 मार्च सन् 1974 गुरूवार से प्रारम्भ होकर 3 वर्ष 2 माह 13 दिन में पूर्ण हुई इसकी प्रेरणा सद्गुरू भगवान सिद्ध की कृपा से जव में 17 वर्ष की उम्र का था तव प्राप्त हुई।ग्रन्थ 6 खन्डो में है।और 550 पृष्ठों का है। उक्त ग्रन्थ मे आद्या शक्ति परमेष्वरी के विभिन्न रूपों की लीला चरित्र है जो कि शप्तसती ग्रन्थ को मूल आधार मानकर देवी भागवत सहित अन्य पौराणिक माता जगदम्वा से सम्वन्धित कथाओं का समावेश किया गया है।जो साधारण जन संस्कृत भाषा का ज्ञान नही रखते हैं इस कारण से वे सप्तशती ग्रन्थ का सीधे लाभ उठाने में असमर्थ रहते हैं।एैसे उन सर्व साधारण के लिये यह शक्ति चरित रामायण की भाषा शैली में अभूत पूर्व पुण्यलाभ अर्जित करने के लिये एवं अपना एवं अपने परिवार सहित सम्पूर्ण जगत को कल्याण मय सुखदाई जीवन जीने के लिये अति उत्तम साधन है। ग्रन्थ (Shakti-Charit) का मूल उद्येष्य इस विकारी संसार में चित्त में रमेहुये विकारांे को विकार रहित वनाकर मन को स्थूल जगत से आध्यात्मिक जगत में प्रवेश पाकर सूक्ष्म जगत के स्थाई रूप से वास्तविक सुख के स्वरूप को प्राप्त करना एवं लोकिक जगत का सुख प्राप्त करके परलोक के सुख को सुरक्षित रखना है।शक्ति चरित का यह आध्यात्मिक ग्रन्थ रचना समय से आजतक लगभग 43 वर्श से सद्गुरू भगवान सिद्ध की अमानत के रूप मेरे पास सुरक्षित रखा रहा।मैं अपने देव गुरू से प्रष्न नही कर सकता इसलिये इसको अभी तक जन कल्याणार्थ प्रकाश में लाने में मैं असमर्थ रहा।इसका कारण तो वे स्वंय जानते हांेगे।अव सूक्षम जगत से सद्गुरू देवादेश हुआ है।इसलिये मैने प्रयास प्रारम्भ किया है।परिणाम क्या होगा इसे मै नही जानता।प्रयास करना मेरा काम है और मै कर रहा हँू।आगे सद्गुरू भगवान का वरद हस्त मेरे सिर पर है और माता विजयनी की कृपा मेरे साथ है। एैसा मेरा अटूट विश्वास हैं। पं.महेश देवलिया"

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