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Vyangya Samay : Manohar Shyam Joshi

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Highlights

  • ISBN13:9788193547182
  • ISBN10:8193547187
  • Publisher:Kitabghar Prakashan
  • Language:Hindi
  • Author:Manohar Shyam Joshi
  • Binding:Paperback
  • Pages:184
  • SUPC: SDL153103714

Description

मनोहर श्याम जोशी के व्यंग्य बोध का दायरा बड़ा है। उनका अध्ययन बहुआयामी था इसलिए सोच, सरोकार, संरचना का विशेष रूप उनकी रचनाओं में दिखता है। कथाकार और पत्रकार की क्षमताओं से उनका व्यंग्यकार समृद्ध हुआ है। ...यह भी कह सकते हैं कि व्यंग्य की अपूर्व समझ ने उनके कथा साहित्य को अभूतपूर्व बना दिया है। मनोहर श्याम जोशी अपने कथागुरु अमृतलाल नागर की तरह स्वभाव से ही व्यंग्य विशारद थे। किसी भी रचना में किस तरह की व्यंजनाओं की गुंजाइश है, यह जोशी अच्छी तरह जानते थे। इसीलिए उनके उपन्यास बताते हैं कि बिना व्यंग्यधर्मिता के इनकी रचना असंभव थी। मनुष्य के भीतर लुके-छिपे, भलाई-बुराई करते, गिरते-उठते, बनते-मिटते मनुष्य को उद्घाटित करते हुए जोशी रचनाशीलता के कई प्रतिमान रच डालते हैं। उन्होंने व्यंग्य को यांत्रिक ढंग से न परखा, न विकसित किया। यदि ‘मौलिकता’ शब्द का कोई भी अर्थ बचा है तो उसका प्रयोग मनोहर श्याम जोशी के संदर्भ में निस्संकोच किया जा सकता है। उन्होंने रिपोर्ताज, संस्मरण, नाटक के शिल्प में भी बेमिसाल व्यंग्य लिखे। आज हिंदी व्यंग्य जोशी से बहुत कुछ सीख सकता है। लोकप्रियता को स्तरहीनता का पर्याय मानने वाले पुनर्विचार कर सकते हैं। वे बुद्धिजीवी जो हास्य को हेय मानते हुए किसी ‘विशुद्ध व्यंग्य’ की काल्पनिक स्थिति का गुणगान करते हैं उन्हें मनोहर श्याम जोशी का व्यंग्य संसार बहुत कुछ सिखा सकता है। तमाम भाषाओं के खास तेवर उनकी रचनाओं की रोचकता बढ़ाते हैं। उच्चारण के रूपों और तद्भव या देशज शब्दों के संयोग से उनके जैसा व्यंग्य अन्य कहीं संभव नहीं हो पाया। इस पुस्तक में उनके व्यंग्य लेखन के कुछ बेहद महत्त्वपूर्ण उदाहरण संजोए गए हैं।

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