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Avadh Narayan Mudgal Ki Lokpriya Kahaniyan


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  • ISBN13:9789353229559
  • ISBN10:9353229553
  • Publisher:Prabhat Prakashan
  • Language:Hindi
  • Author:Avadh Narayan Mudgal
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Highlights

  • ISBN13:9789353229559
  • ISBN10:9353229553
  • Publisher:Prabhat Prakashan
  • Language:Hindi
  • Author:Avadh Narayan Mudgal
  • Binding:Paperback
  • Pages:176
  • SUPC: SDL810861082

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Other Details
Country of Origin or Manufacture or Assembly India
Common or Generic Name of the commodity Literature & Fiction
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Description

कुत्ता कान-पूँछ हिलाने के साथ-साथ कूँ-कूँ भी करने लगा, जैसे डाँटकर और जोर देकर कह रहा हो, ‘‘...चुप, झूठे कहीं के। मेरी जीभ और नाक झूठी नहीं हो सकती। मुझे दुनिया में उन पर सबसे अधिक विश्वास है, तुमसे भी अधिक। मैं नहीं मान सकता कि...’’

मैंने बहुत समझाया, कसमें खाईं, लेकिन उसके कान-पूँछ का हिलना बंद न हुआ।

उसी समय, असावधानी या घबराहट में मुन्ना का दायाँ पैर कुत्ते के दूधवाले तसले में गिर गया। कुत्ते ने पैर में दाँत गड़ा दिए, जैसे मेरी बात पर बिल्कुल विश्वास न हो, मुन्ना का खून मेरे खून से मिलाना चाहता हो। मुझे लगा—मेरे पैर में दाँत गड़ गए हों। क्रोध में मेरी फुँकार छूट गई, जैसे कहा हो, ‘‘इतना विश्वास!’’ और उठकर दूध का तसला कुत्ते के सिर पर दे मारा। कुत्ता कें-कें करने लगा, मुन्ना की ऐं-ऐं और बढ़ गई।

—इसी संग्रह से

अपने समय के शीर्ष संपादक व लेखक श्री अवध नारायण मुद्गल की पठनीय कहानियों का संकलन। ये रचनाएँ समाज में फैली विसंगतियों और विद्रूपताओं को आईना दिखाने का सशक्त माध्यम रही हैं।

About the Author

अवध नारायण मुद्गल

अपनी कविताओं और कथादृष्टि में मिथकीय प्रयोगों के लिए विशेष रूप से जाने जानेवाले कवि, कथाकार, पत्रकार, सिद्धहस्त यात्रावृत्त लेखक, लघुकथाकार, संस्मरणकार, अनुवादक, साक्षात्कारकर्ता, रिपोर्ताज लेखक और संस्कृत साहित्य के मर्मज्ञ, चिंतक-विचारक अवध नारायण मुद्गल लगभग 27 वर्षों तक टाइम्स ऑफ इंडिया की ‘सारिका’ कथा पत्रिका से निरंतर जुड़े ही नहीं रहे, बल्कि दस वर्षों तक स्वतंत्र रूप से उसके संपादन का प्रभार भी सँभाला।

28 फरवरी, 1936 को आगरा जनपद के ऐमनपुरा गाँव में जन्म। साहित्य रत्न और मानव समाजशास्त्र में लखनऊ विश्वविद्यालय से एम.ए. किया और संस्कृत में शास्त्री। जनयुग, स्वतंत्र भारत, हिंदी समिति में कार्य करते हुए सन् 1964 में टाइम्स ऑफ इंडिया (बंबई) से जुड़े। उनकी रचनाएँ हैं—‘कबंध’, ‘मेरी कथा यात्रा’ (कहानी-संकलन), ‘अवध नारायण मुद्गल समग्र’ (दो खंड), ‘बंबई की डायरी’ (डायरी), ‘एक फर्लांग का सफरनामा’ (यात्रा-वृत्तांत), ‘इब्तदा फिर उसी कहानी की’ (साक्षात्कार), ‘मेरी प्रिय संपादित कहानियाँ’ तथा ‘खेल कथाएँ’ (संपादन)।

उन्हें उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के ‘साहित्य भूषण’, हिंदी अकादमी दिल्ली के ‘साहित्यकार सम्मान’ एवं राजभाषा विभाग बिहार के सम्मान से सम्मानित।

स्मृतिशेष : 15 अप्रैल, 2015

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