प्रस्तुत पुस्तक में मधुमेह की आशंका वाले लोगों के साथ-साथ उन लोगों के भी प्रश्नों का गंभीरता से जवाब देने का प्रयास किया गया है, जो मधुमेह से पीड़ित हैं और जिनकी हालत बिगड़ती जा रही है। ये सलाहें इस क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ मिलकर किए गए व्यापक शोध पर आधारित हैं, ताकि ये उपयोगी, तार्किक और प्रभावशाली हो सकें। इस पुस्तक की सबसे अच्छी बात यह है कि इसे भारतीय परिस्थितियों के अनुसार लिखा गया है, क्योंकि मधुमेह पर बाजार में उपलब्ध अधिकतर पुस्तकें आयातित सामग्री पर आधारित होती हैं और भारतीय परिस्थितियों के अनुसार उनके सुझाव अपनाने में गलतफहमी होती रहती है।
मधुमेह एक स्थायी समस्या है; लेकिन प्रबुद्ध लेखक डॉ. अनिल चतुर्वेदी ने ऐसे तरीके निकाले हैं, जिनसे बड़ी सरलता से आसान उपायों के जरिए बड़ी संख्या में रोगी लाभ उठा सकें। उन्होंने तीन अलग-अलग आधारों पर मधुमेह से निपटने के तरीके खोजे हैं और इनका मिश्रण कारगर ढंग से रोग से निपटने में मददगार हो सकता है।
मधुमेह के रोग से बचाव व उपचार के अत्यंत सर्वसुलभ व सहज व्यावहारिक और कारगर 101 तरीके बतानेवाली प्रामाणिक पुस्तक।
About the Author
डॉ. अनिल चतुर्वेदी
सन् 1974 में मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली से एम.डी. मेडिसिन की उपाधि प्राप्त की, वहीं सीनियर रजिस्ट्रार तथा फिजिशियन के रूप में कार्य किया। सन् 1983 से 1989 तक नारू में विश्वप्रसिद्ध मधुमेह विशेषज्ञ डॉ. पॉल जिमैट के साथ मधुमेह रोग पर अनुसंधान किया। दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल, एस्कॉर्ट हृदय संस्थान, शांति मुकुंद अस्पताल, दीपक मेमोरियल अस्पताल में रहे।
केंद्रीय हिंदी संस्थान का ‘डॉ. आत्माराम सम्मान’ (2013), इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का ‘डॉ. डी.एन. दत्ता सम्मान’ (2008), ‘डॉ. ठक्कर सम्मान’ (1996) तथा ‘डॉ. भिडे पुरस्कार’ (2004) प्राप्त। वर्ष 1996 में ‘राष्ट्रीय हिंदी सम्मान’ से भी सम्मानित किया गया। सन् 2005 में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा ‘विज्ञान भूषण सम्मान’, सन् 2006 में ‘चिकित्सा और हम’ पुस्तक पर हिंदी अकादमी, दिल्ली सरकार द्वारा ‘साहित्यिक कृति सम्मान’।
‘बी.सी. राय राष्ट्रीय सम्मान’, ‘व्योश्रेष्ठ सम्मान, आजीवन उपलब्धि’, ‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार राष्ट्रीय पुरस्कार’, ‘आई.एम.ए. डॉ. बी.आर. रामा सुब्रह्मण्यम अवार्ड-2015’, ‘डॉ. ए.के.एन. सिन्हा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’।