Cart
Sign In
Compare Products
Clear All
Let's Compare!

Gopalram Gahmari Ki Jasoosi Kahaniyan By Gopalram Gahmari

(3.0) 2 Ratings Have a question?

MRP  
Rs. 200
  (Inclusive of all taxes)
Rs. 190 5% OFF
(1) Offers | Applicable on cart
Apply for a Snapdeal BOB Credit Card & get 5% Unlimited Cashback T&C
Delivery
check

Generally delivered in 5 - 9 days

  • ISBN13:9789353228330
  • ISBN10:9353228336
  • Publisher:Prabhat Prakashan
  • Language:Hindi
  • Author:Gopalram Gahmari
  • View all item details
7 Days Replacement
This product can be replaced within 7 days after delivery Know More

Featured

Highlights

  • ISBN13:9789353228330
  • ISBN10:9353228336
  • Publisher:Prabhat Prakashan
  • Language:Hindi
  • Author:Gopalram Gahmari
  • Binding:Paperback
  • Pages:184
  • SUPC: SDL707537402

Other Specifications

Other Details
Country of Origin or Manufacture or Assembly India
Common or Generic Name of the commodity Literature & Fiction
Manufacturer's Name & Address
Packer's Name & Address
Marketer's Name & Address
Importer's Name & Address

Description

मूर्धन्य साहित्यकार गोपालराम गहमरी हिंदी साहित्य में उपेक्षित हैं। कई विधाओं में उन्होंने प्रचुर साहित्य लिखा, लेकिन अपने देश के कॉलेज से लेकर विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में वे कहीं नहीं हैं। न उनके संस्मरण, न कहानियाँ, न कविताएँ, न उपन्यास, न अनुवाद। उन पर एक जासूसी लेखक का ठप्पा लगाकर उनके पूरे रचनाकर्म से ही हमारे कथित आलोचकों ने किनारा कर लिया, जैसे ये जासूसी उपन्यास घोर पाप हों। फिर धीरे-धीरे उन्हें जान-बूझकर बिसरा दिया गया; लेकिन अब फिर उनके साहित्य की खोज होने लगी है। फिर से लोग अब गहमरीजी की रचनाओं से परिचित होने को बेताब दिख रहे हैं। यह अच्छी बात है। राख के भीतर छिपी आग अब बाहर आ रही है। साहित्य पाठकों के भरोसे जिंदा रहता है, आलोचकों के भरोसे नहीं। कबीर, तुलसी, रैदास अपनी रचनाओं के बूते जिंदा हैं, आलोचकों के भरोसे नहीं। गोपालराम गहमरी अब पुस्तकालयों से बाहर आ

रहे हैं।

उनकी जासूसी कहानियों में रहस्य और रोमांच है; गुत्थियाँ हैं, जिन्हें सुलझाने के रोचक प्रसंग भी हैं, जो पाठक को बाँध लेंगे।

About the Author

गोपालराम गहमरी

जन्म : पौष कृष्ण, आठ, गुरुवार, संवत् 1923, (सन् 1866), बारा, जिला गाजीपुर, उत्तर प्रदेश।

शिक्षा : नार्मल परीक्षा, प्रथम श्रेणी।

संपादन : भारत भूषण (बंबई साप्ताहिक, 1893), सहकारी संपादक : साहित्य सरोज (मेरठ, पाक्षिक, 01 दिसंबर 1895), गुप्तकथा (प्रथम हिंदी जासूसी मासिक पत्र, मेरठ), बिहार बंधु (पटना, 1907 से 1909 तक), स्थानापन्न संपादक : भारतमित्र (कलकत्ता, साप्ताहिक) में 1899 में कुछ माह तक। सहकारी संपादक : वेंकटेश्वर समाचार-पत्र (बंबई 1897 से 1899), दैनिक हिंदोस्थान (कालाकाँकर, 1889 से 1890), व्यापार सिंधु (मासिक बंबई)। 1892 में पुनः बंबई गए और इस पत्र का केवल एक मास तक संपादन किया। जासूस : मासिक पत्र, 1900 से 1939 तक अपने गाँव गहमर से प्रकाशित किया। हिंदी में जासूसी उपन्यासों के जनक।

रचनाएँ : दो सौ से ऊपर मौलिक जासूसी, सामाजिक उपन्यासों का सृजन। करीब इतने ही बांग्ला से अनुवाद। बांग्ला से पहली बार कहानी ‘हीरे का मोल का अनुवाद। रवींद्रनाथ टैगोर की कृति ‘चित्रांगदा का भी हिंदी में सबसे पहले अनुवाद। देश दशा, जन्मभूमि, बभ्रुवाहन और वनवीर (नाटक)। सोना शतक व वसंत विकास (काव्य)। प्लेग का वक्तव्य और रंग की बातें (व्यंग्य विनोद)।

भाषा ज्ञान : हिंदी, उर्दू, फारसी, संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी।

स्मृतिशेष : 20 जून, 1946, बनारस।

Terms & Conditions

The images represent actual product though color of the image and product may slightly differ.

Quick links

Seller Details

View Store


Expand your business to millions of customers
Gopalram Gahmari Ki Jasoosi Kahaniyan By Gopalram Gahmari

Gopalram Gahmari Ki Jasoosi Kahaniyan By Gopalram Gahmari

Rs. 190

Rs. 200
Buy now