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Gopi Ki Diary by Sudha Murty


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  • ISBN13:9789390366002
  • ISBN10:9789390366002
  • Age:15+
  • Publisher:Prabhat Prakashan
  • Language:Hindi
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Highlights

  • ISBN13:9789390366002
  • ISBN10:9789390366002
  • Age:15+
  • Publisher:Prabhat Prakashan
  • Language:Hindi
  • Author:Sudha Murty
  • Binding:Hardback
  • Pages:96
  • Edition:2021
  • Edition Details:2020-2021
  • SUPC: SDL956367488

Other Specifications

Other Details
Country of Origin or Manufacture or Assembly India
Common or Generic Name of the commodity Literature & Fiction
Manufacturer's Name & Address
Packer's Name & Address
Marketer's Name & Address
Importer's Name & Address

Description

तुम मेरी जिंदगी हो—गोपी,
गोपेचा, गोपेश, गोपीनाथ,
गोपाल राव, गोपाल स्वामी, गोपू।
यह गोपी नाम के एक कुत्ते और उसे गोद लेने वाले प्यारे परिवार की कहानी है। इस किताब में बताया गया है कि कैसे जल्द ही गोपी सफेद फर वाले छोटे से पिल्ले से एक युवा कुत्ते में बदल जाता है। वह अपनी दुनिया से अच्छी तरह परिचित है। उसके आस-पास रहने वाले लोग उसका नाम पुकारें, इससे पहले ही वह उनके मन की बात समझ जाता है।
सुधा मूर्ति की अनूठी शैली में लिखी यह साधारण सी कहानी एक कुत्ते के नजरिए से प्रस्तुत की गई है, जो हमें बताती है कि पालतू जानवर अपने प्यार, समर्पण और असीमित प्यार के कारण ही इतने खास बन जाते हैं।
सुधा मूर्ति की यह पुस्तक हर उम्र के लोगों के लिए है, क्योंकि गोपी बच्चों के साथ-साथ बड़ों के दिलों को भी अपने प्यार से भर देता है।
‘गोपी की डायरी’ बच्चों के लिए लिखी तीन पुस्तकों की शृंखला है।
इस शृंखला की पहली पुस्तक ‘घर आना’ है।

About Author
अंग्रेजी और कन्नड़ की सफल लेखिका सुधा मूर्ति का जन्म 1950 में उत्तरी कर्नाटक के शिगौन में हुआ। उन्होंने कंप्यूटर साइंस में एम.टेक. किया है और फिलहाल वह इनफोसेस फाउंडेशन की चेयरपर्सन हैं।
वे अब तक 30 से ज्यादा पुस्तकें लिख चुकी हैं, जो उपन्यास, यात्रा-वृत्तांत, तकनीकी, संक्षिप्त कहानी-संग्रह, कथेतर साहित्य और बच्चों के लिए लिखी बेस्ट-सेलिंग कृतियाँ हैं। उनकी पुस्तकों का भारत की लगभग हर महत्वपूर्ण भाषा में अनुवाद हो चुका है। उन्हें उत्कृष्ट साहित्य लेखन के लिए आर.के.नारायण पुरस्कार (2006), पद्मश्री पुरस्कार (2006), कन्नड़ साहित्य में कर्नाटक सरकार की ओर से अतिमाबी पुरस्कार (2011) और क्रॉसवर्ड बुक द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार (2018) से सम्मानित किया जा चुका है।

गोपी मूर्ति
27 नवबंर, 2018 को जन्म लेने वाला गोपी अपना ज्यादातर समय मेढकों, तितलियों का पीछा करने, भौंकने, खाने और खुले नल से आते पानी को पीने में बिताता है। उसे खीरा, गाजर और छाछ पीना बहुत पसंद है। वह बेंगलुरु में अपने अज्जा, अज्जी, ताची अज्जी और अप्पा के साथ रहता है।
अनुवाद : श्रीमती रंजना सहाय

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