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Jyotsna Milan ki Lokpriya Kahaniyan


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  • ISBN13:9789353223557
  • ISBN10:9353223555
  • Publisher:Prabhat Prakashan
  • Language:Hindi
  • Author:Jyotsna Milan
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Highlights

  • ISBN13:9789353223557
  • ISBN10:9353223555
  • Publisher:Prabhat Prakashan
  • Language:Hindi
  • Author:Jyotsna Milan
  • Binding:Hardback
  • Pages:176
  • SUPC: SDL480343038

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Other Details
Country of Origin or Manufacture or Assembly India
Common or Generic Name of the commodity General Fiction
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Description

ज्योत्स्ना मिलन की कहानियों का यह बहुवर्णी संकलन उनके रचना-संसार के सभी पहलुओं और विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करता है। इनसे गुजरते हुए पाठक न केवल अपने व्यक्तित्व और संवेदना में गहरे डूबकर स्वयं को नए सिरे से पहचानेंगे, बल्कि अपने से बाहर जीवन-विस्तार को भी सर्वथा नई दृष्टि से जाँचने-परखने की चुनौती और सामर्थ्य खुद में विकसित होते हुए पाएँगे।

घिसी-पिटी चालू मुद्राओं और मुहावरों से सर्वथा अछूती मौलिक दृष्टि और तदनुरूप भाषाशैली उन्हें यहाँ अनायास और स्वतःस्फूर्त ढंग से उजागर होती दिखाई देगी। जैसा कि उनके पहले ही कथा-संग्रह पर वरिष्ठ लेखक अर्चना वर्मा का कहना था—‘‘स्त्री चेतना में प्रतिबिंबित जगत् का वह रूप, जो पुरुष क्या, अकसर स्वयं स्त्रियों की दृष्टि से भी परे होता है, उसे ज्योत्स्ना मिलन के अलावा किसी और ने टटोलने की कोशिश नहीं की है।’’ इस संकलन के पाठक उस वैशिष्ट्य को यहाँ भी पूरी तरह चरितार्थ होते हुए पाएँगे। साथ ही वह तत्त्व भी, जिसे उनकी समानधर्मा कहानीकार राजी सेठ ने रेखांकित किया है— ‘‘जीवनानुभव यहाँ भाषा द्वारा रचा नहीं जाता, बल्कि भाषा के भीतर से स्वतः ही बनता जाता है।’’

प्रस्तुत है ज्योत्स्ना मिलन की जीवन के विविध रंगों से सज्जित मर्मस्पर्शी-संवेदनशील लोकप्रिय कहानियों का संकलन।

About the Author

ज्योत्स्ना मिलन

जन्म : 19 जुलाई, 1941, मुंबई।

शिक्षा : 1965 में गुजराती साहित्य से एम.ए. तथा 1970 में अंग्रेजी साहित्य से एम.ए.।

रचना-संसार : तीन उपन्यास, छह कहानी-संग्रह, दो कविता-संग्रह, ‘स्मृति होते होते’ (संस्मरण), ‘कहते-कहते बात को’ (साक्षात्कार) प्रकाशित। स्त्रियों के संगठन ‘सेवा’ के मासिक मुखपत्र ‘अनसूया’ का छब्बीस वर्ष संपादन; इला र. भट्ट की स्त्री-चिंतन की पुस्तक ‘हम सविता’ का अनुवाद तथा संपादन; इला बहन के ही उपन्यास ‘लारीयुद्ध’ का अनुवाद। गुजराती से राजेंद्र शाह, निरंजन भगत, सुरेश जोशी, लाभशंकर ठाकर, गुलाम मोहम्मद शेख, प्रियकांत मणियार, पवनकुमार जैन की कविताओं एवं कहानियों का अनुवाद।

वर्ष 1985-86 के लिए म.प्र. सरकार की मुक्तिबोध फेलोशिप; वर्ष 1996 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सीनियर फेलोशिप। रामानुजन तथा धारवाडकर द्वारा संपादित ‘दि ऑक्सफोर्ड एंथोलॉजी ऑफ इंडियन पोइट्री’, आरलिन जाइड द्वारा संपादित ‘इन देयर ओन वॉइस’, साहित्य अकादेमी की काव्यार्धशती, ल्यूसी रोजेंटाइन द्वारा संपादित ‘न्यू पोइट्री इन हिंदी’, सारा राय द्वारा संपादित हिंदी कहानी संकलन ‘हेंडपिक्ड हिंदी फिक्शन’, स्वीडिश में प्रकाशित भारतीय कविता संचयन में रचनाएँ संकलित।

स्मृतिशेष : 4 मई, 2014।

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