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Kavya Manthan Poetry Book

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  • ISBN13:9789391116125
  • ISBN10:9789391116125
  • Publisher:StoryMirror Infotech Pvt. Ltd.
  • Author:Pratap Chauhan
  • Binding:Paperback
  • View all item details
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Highlights

  • ISBN13:9789391116125
  • ISBN10:9789391116125
  • Publisher:StoryMirror Infotech Pvt. Ltd.
  • Author:Pratap Chauhan
  • Binding:Paperback
  • Pages:90
  • Edition Details:Poetry Book
  • SUPC: SDL471730328

Other Specifications

Other Details
Country of Origin or Manufacture or Assembly India
Common or Generic Name of the commodity Poetry
Manufacturer's Name & Address
Packer's Name & Address
Marketer's Name & Address
Importer's Name & Address

Description

About Book:
इस पुस्तक में लेखक ने कविता के माध्यम से विभिन्न विषयों अपने विचार प्रस्तुत किए हैं। लेखक प्रताप चौहान की 65 स्वरचित रचनाएं "काव्य मंथन" पुस्तक द्वारा समाज को बहुआयामी संदेश देने का प्रयास करेंगी। पाठकों की सुविधा के लिए लेखक ने सरल भाषा का प्रयोग किया है। क्योंकि पाठकों की प्रसन्नता लेखक को आत्म बल प्रदान करती है। लेखक के अनुभव और मनोभाव पर आधारित रचनाओं का संग्रह स्टोरीमिरर द्वारा प्रकाशित पुस्तक "काव्य मंथन" साहित्य प्रेमी-पाठकों तक पहुंचाना ही एकमात्र उद्देश्य है। इस पुस्तक के अंतर्गत सभी रचनाएं अलग-अलग विषय से संबंधित हैं।
इस पुस्तक में कुछ रचनाएं सामाजिक पृष्ठभूमि को दर्शाती हैं। जो किसी व्यक्ति विशेष से संबंधित नहीं हैं। लेखक ने नारी शक्ति भारतीय वीर योद्धाओं एवं भारत की आजादी के क्रांतिकारियों से संबंधित कई रचनाओं का वर्णन किया है।
लेखक ने पुस्तक में वर्तमान में हो रही समस्याओं का भी उल्लेख किया है। लेखक का उद्देश्य किसी भी पाठक की भावना को ठेस पहुंचाना नहीं है।
लेखक को पूर्ण आशा है कि "काव्य मंथन" पुस्तक पाठकों को पसंद आएगी।

About the Author:
प्रताप चौहान का जन्म 20 अगस्त 1977 में उत्तर प्रदेश की तहसील जसराना अंतर्गत एक छोटे से गाँव में हुआ था। इनका बचपन बहुत ही संघर्ष में गुजरा। इन्होने अपनी प्राम्भिक शिक्षा एक सरकारी विद्यालय से ग्रहण की तथा कॉलेज की शिक्षा ग्रहण करने के लिये गाँव से शहर आये। जब वो शिकोहाबाद के नारायण कॉलेज से स्नातक (बी.ए. प्रथम बर्ष) कर रहे थे तभी उनकी नियुक्ति नौसेना में हुई ।
15 बर्ष तक नौसेना में सेवा देकर प्रताप चौहान वापस घर आ गये। उन्होंने अपनी स्नातक की अधूरी शिक्षा पूर्ण करने के लिये फिर से कॉलेज में प्रवेश लिया और स्नातक की शिक्षा पूर्ण करते ही उनको बी.टी.सी. प्रशिक्षु हेतु डाइट पर प्रवेश मिला, लेकिन प्राक्षिण के दौरान वो एक कार दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हुए और टोटल पैरालाइज़्ड हो गये थे । उन पर माँ दुर्गा की विशेष कृपा रही है अतः मातारानी की कृपा और अपने आत्मबल से लगभग स्वस्थ हो गये ।
काव्य मंथन प्रताप चौहान की पहली कृति है। जिसमें उन्होंने अपनी जिन्दगी के अनुभव और मनोभाव को पंक्तियों में पिरोया एंव कविता के रूप में उनको सुसज्जित किया है । पाठकों को कविता की भाषा समझने में असुविधा न हो इसलिए काव्य मंथन में सरल भाषा का प्रयोग किया गया है ।

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