Cart
Sign In
Compare Products
Clear All
Let's Compare!

Media ka Vartmaan Paridrishya


MRP  
Rs. 500
  (Inclusive of all taxes)
Rs. 427 15% OFF
(1) Offers | Applicable on cart
Apply for a Snapdeal BOB Credit Card & get 5% Unlimited Cashback T&C
Delivery
check

Generally delivered in 6 - 10 days

7 Days Easy Returns
We assure easy return exchange of purchased items within 7 days of delivery. Know More

Featured

Highlights

  • ISBN13:9789387968769
  • ISBN10:9387968766
  • Publisher:Prabhat Prakashan
  • Language:Hindi
  • Author:Rakesh Praveer
  • Binding:Hardback
  • Pages:272
  • SUPC: SDL676427219

Other Specifications

Other Details
Country of Origin or Manufacture or Assembly India
Common or Generic Name of the commodity Media Studies Books
Manufacturer's Name & Address
Packer's Name & Address
Marketer's Name & Address
Importer's Name & Address

Description

मीडिया को चौथा स्तंभ यों ही नहीं कहा गया। जब न्याय के सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं, तब मीडिया ही एक माध्यम बचता है, किसी भी पीड़ित की मुक्ति का, उसके लिए न्याय का राजपथ मुहैया कराने में; लेकिन राकेशजी की मेधा सिक्के के दूसरे पहलू को नजरंदाज नहीं करती। वे हमारे देश में ही नहीं, दुनिया भर में मीडिया के दुरुपयोग और उससे समाज को होनेवाली क्षति से परिचित हैं। फेक न्यूज, पेड न्यूज, दलाली, ब्लैकमेलिंग, पीत-लेखन का जो कचरा मीडिया के धवल आसमान पर काले बादलों की तरह छाया हुआ दिखता है, वह उन्हें बहुत उद्वेलित करता है, क्योंकि उन्होंने पत्रकारिता को बदलाव के एक उपकरण की तरह चुना था, न कि किसी व्यक्तिगत महत्त्वाकांक्षा के तहत।

प्रस्तुत पुस्तक पत्रकारिता की लंबी परंपरा के संदर्भ में आज उसकी चुनौतियों और खतरों पर विस्तार से प्रकाश डालने की कोशिश करती है। इस काम में उनकी पक्षधरता बिल्कुल स्पष्ट है। आज के जीवन में चारों ओर राजनीति है। उससे मुक्त होना संभव नहीं है, लेकिन यह साफ होना चाहिए कि आपकी राजनीति क्या है। मुक्तिबोध इसीलिए पूछते हैं, 'पार्टनर तुम्हारी पॉलिटिक्स क्या है?' राकेश प्रवीर की पॉलिटिक्स बिल्कुल साफ है। वे एक पत्रकार या मीडियाकर्मी के रूप में हमेशा पीड़ित के पक्ष में खड़े रहने में यकीन करते हैं।

मीडिया के वर्तमान परिदृश्य को जानने-समझने में सहायक एक महत्त्वपूर्ण पठनीय पुस्तक।

-सुभाष राय प्रधान संपादक, जनसंदेश टाइम्स

About the Author

राकेश प्रवीर जन्म : 16 अप्रैल, 1966 को बिहार के पूर्वी चंपारण के एक गाँव भोपतपुर बझिया में।

शिक्षाः स्नातकोत्तर (अर्थशास्त्र)।

आजीविका : विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। 15 वर्षों से पटना विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में मीडिया अध्यापन। प्रिंट मीडिया में ढाई दशकों के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी दो वर्षों का कार्यानुभव।

रचना-संसार : 'थारु जाति : पहचान के लिए संघर्षरत जनजाति' (2004 में) बिहार हिंदी ग्रंथ अकादमी, पटना से प्रकाशित। आठ कोस की यात्रा' लघुकथासंग्रह में पच्चीस लघुकथाएँ प्रकाशित। कविता, कहानियों के एक दर्जन से ज्यादा संग्रहों में रचनाएँ शामिल। डेढ़ हजार से अधिक आलेख, समीक्षात्मक निबंध, कविता, कहानी एवं लघुकथाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। बिहार एवं झारखंड के जनजातीय समाज पर विशेष कार्य। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन केंद्र पटना से वार्ता, आलेख, कहानी एवं कविताओं आदि का नियमित प्रसारण।

सम्मान-पुरस्कार : विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्थाओं की ओर से सृजनात्मक पत्रकारिता, कहानीलेखन एवं काव्य-कर्म के लिए सम्मानपुरस्कार।

Terms & Conditions

The images represent actual product though color of the image and product may slightly differ.

Seller Details

View Store


Expand your business to millions of customers
Media ka Vartmaan Paridrishya

Media ka Vartmaan Paridrishya

Rs. 427

Rs. 500
Buy now