पहले प्यार की तरह आप कभी प्यार नहीं कर सकते, क्योंकि पहली बार ही आप उस दिल से प्यार करते हैं, जो टूटा नहीं होता।’
वीर की नजर जब पहली बार मीरा पर पड़ी, तो जबरदस्त आकर्षण के जादू ने उसे अपने वश में कर लिया। मीरा को भी कुछ-कुछ महसूस हुआ। देखते-ही-देखते यही उनकी जिंदगी बन गई। दोनों को एक-दूसरे की तरफ खींचनेवाली ताकत ही मानो एकमात्र सच्चाई थी, जिसे बयाँ नहीं किया जा सकता।
हालाँकि, यही बवंडर, जिसका नाम प्यार है, उन दोनों को उड़ाकर एक-दूसरे से अलग कर देता है। अचानक एक तबाही उन पर हमला करती है और उनके सपनों को झकझोर देती है। कुछ बाकी रह जाती है तो सिर्फ नफरत, जो उनके प्यार के जितनी ही ताकतवर है।
बरसों बाद, किस्मत एक और चाल चलती है और दोनों को आमने-सामने ला खड़ा करती है। एक बार फिर। इस बार फैसला उन्हें करना हैः अपनी नफरत के हाथों बरबाद हो जाएँ या प्यार को एक और मौका दें।
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विक्रम भट्ट हिंदी फिल्म-जगत् के अग्रणी फिल्म-निर्माता विजय भट्ट के पोते हैं। उनके पिता प्रवीण भट्ट ने अपने पचास साल से ज्यादा के कॅरियर में सैकड़ों फिल्मों में फोटोग्राफी का निर्देशन किया है। विक्रम को शेखर कपूर और महेश भट्ट जैसे प्रसिद्ध फिल्म-निर्माताओं के संरक्षण में रहने का भी सौभाग्य मिला। पच्चीस साल के कॅरियर में विक्रम ने पैंतीस से ज्यादा फिल्मों का निर्देशन किया है और पंद्रह से ज्यादा फिल्मों की पटकथा लिखी है। उन्होंने अनेक फिल्में भी बनाईं।
संप्रति उनकी अपनी कंपनी लोनरेंजर प्रोडक्शंस प्रा.लि. है, जो फिल्म, टेलीविजन और वेब की दुनिया में विशेषज्ञता के लिए जानी जाती है। यह उनकी पहली पुस्तक है।