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Nayanon Ki Veethika


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Highlights

  • ISBN13:9789387980174
  • ISBN10:9387980170
  • Publisher:Prabhat Prakashan
  • Language:Hindi
  • Author:R.K. Jaiswal
  • Binding:Hardback
  • Publishing Year:2019
  • Pages:144
  • SUPC: SDL695424228

Other Specifications

Other Details
Country of Origin or Manufacture or Assembly India
Common or Generic Name of the commodity Government Entrance Exams
Manufacturer's Name & Address
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Marketer's Name & Address
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Description

नयनों की वीथिका’ शीर्षक ही बहुत कुछ बयाँ कर देता है। शायद ही कोई हो, जिसने इस वीथिका में विचरण न किया हो। इस कहानी-संग्रह की अधिकतर कहानियाँ इस वीथिका से ही गुजरती हैं। प्रेम के नाना रंग, नाना रूप इनमें बिखरे हुए हैं। कहीं वे दीये की लौ की तरह दिपदिपाते हैं, तो कहीं आकाश की बिजली की तरह चकाचौंध कर देते हैं। कहीं ऐसा भी होता है कि प्रेम का आलोक सीधे न आकर कहीं से परावर्तित होकर आता दिखता है। यों तो प्रेम किसी भी वय, किसी भी परिस्थिति में हो सकता है, यह विहित या अविहित हो सकता है, लेकिन इसका सबसे मतवाला रूप वह होता है, जो बालपन में होता है, जिसमें सख्य और प्रेम के बीच एक बहुत ही बारीक-सी रेखा होती है। 
‘अमराइयाँ पुकारती हैं’ ऐसी ही एक कहानी है तो ‘अपूर्ण कथानक’ कैशोर प्रेम का वह घाव है, जो जीवनभर खुला ही रहता है; और ‘लड़कपन’ की तो बात ही मत पूछिए। स्मृतियों के सागर में एक तपती हुई जलधारा चुपके-चुपके बहती है। ‘पाँच हजार साल पहले का प्यार’ दो सुदूर सभ्यताओं से संबंधित प्रेमियों की वह दास्ताँ है, जो अपूर्ण भी है और पूर्ण भी। एक वीणा है, जिसके टूट जाने पर भी उसका स्वर बरसों-बरस सागर की लहरों में बजता रहा। बाकी कहानियों के भी अपने रंग, अपने रूप, अपनी छटाएँ हैं।
 
About the Author
आर.के. जायसवाल
मध्य प्रदेश के पुलिस अधिकारी रहे।
शिक्षा :  एम.ए. (इतिहास)।
रुचियाँ :  पठन-पाठन, अध्ययन-अध्यापन, लेखन, धर्म, अध्यात्म, दर्शन, इतिहास,  परामनोविज्ञान,  ज्योतिष, साहित्य आदि।
विभिन्न समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं, दूरदर्शन, रेडियो आदि से कहानियों, कविताओं, नाटकों, लेखों आदि का प्रकाशन/प्रसारण। ‘नयनों की वीथिका’ प्रथम कहानी-संग्रह है।

 

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