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Naye Bharat ki Nyayik Kranti 2020

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  • ISBN13:9789353229504
  • ISBN10:9353229502
  • Publisher:Prabhat Prakashan
  • Language:Hindi
  • Author:Brijesh Bahadur Singh
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Highlights

  • ISBN13:9789353229504
  • ISBN10:9353229502
  • Publisher:Prabhat Prakashan
  • Language:Hindi
  • Author:Brijesh Bahadur Singh
  • Binding:Hardback
  • Pages:200
  • SUPC: SDL823563388

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Other Details
Country of Origin or Manufacture or Assembly India
Common or Generic Name of the commodity General Fiction
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Description

न्यायाधीश ईश्वर की श्रेणी में आते हैं। वे न्यायमंदिर की न्यायमूर्ति हैं। जनमानस न्यायाधीश में ईश्वर की छवि खोजता है, नहीं पाता तो एक अच्छा इनसान देखता है, अच्छा इनसान भी नहीं दिखता, तब वह न्यायाधीश के बारे में गलत छवि बनाता है। न्यायमंदिर की छवि को हम कितना और दूषित करेंगे? यह न्यायाधीशों के बीच चर्चा का विषय होना चाहिए।

अधीनस्थ न्यायालय आम भारतीयों की न्यायपालिका है, किंतु इसके न्यायाधीशों की चयन प्रक्रिया और कैडर पर आज तक अंतिम निर्णय आने के बाद भी राष्ट्रीय न्यायिक सेवा आयोग (NJSC) एवं भारतीय न्यायिक सेवा (IJS) का संकल्प लागू नहीं किया गया। इस विषय पर श्वेत-पत्र इस पुस्तक का भाग है। नेताशाही व लालफीताशाही कितने पानी में है, देशवासियों को समझना जरूरी है।

सफल व्यक्ति भिन्न काम नहीं करते, वे अपने काम को भिन्न तरीके से करते हैं। चीन अपने प्रत्येक कार्य को क्रांतिकारी तरीके से करता है। भारतीय न्यायपालिका के न्यायिक व प्रशासनिक कार्य न भिन्न तरीके से होते हैं, न क्रांतिकारी तरीके से होते हैं, यहाँ केवल न्यायिक सुधार होते हैं। पुराने भारत ने बहुत सुधार देखे हैं, अब नए भारत को न्यायिक सुधार नहीं, न्यायिक क्रांति चाहिए। स्पीडी ट्रायल ऐक्ट चाहिए। प्रक्रिया विधि में Adversarial System नहीं, Inquistorial System चाहिए। न्यायाधीश को कार्यशैली एवं न्यायालयों की कार्य संस्कृति बदलनी चाहिए।

‘नए भारत’ की संकल्पना में न्यायिक क्रांति की आवश्यकता को रेखांकित करती एक संपूर्ण पुस्तक।







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अनुक्रम



भूमिका—Pgs. 9



प्रस्तावना—Pgs. 13



1. न्यायिक सुधार अथवा न्यायिक क्रांति—Pgs. 23



2. न्यायिक क्रांति की पृष्ठभूमि—Pgs. 34



3. न्यायाधीश की कार्यशैली एवं न्यायालय की कार्य-संस्कृति—Pgs. 65



4. भयमुक्त न्यायाधीश : भ्रष्टाचार मुक्त न्यायपालिका—Pgs. 94



5. दंड प्रक्रिया संहिता में संशोधन : क्यों और क्या?—Pgs. 104



6. अनुसंधान पुलिस एवं कानून-व्यवस्था पुलिस का पृथक्करण—Pgs. 132



7. स्पीडी ट्रायल एक्ट क्या है?—Pgs. 141



8. आधुनिक तकनीक से न्यायालयों का सशक्तीकरण एवं उन्नतीकरण—Pgs. 146



9. पारिवारिक न्यायालय अधिनियम, 1984 (Family Courts Act 1984) पूर्ण कानून बने—Pgs. 150



10. विधिक सेवा प्राधिकार अधिनियम 1987 में संशोधन—Pgs. 155



11. विचारण में विलंब : पक्षकारों की अनुपस्थिति, उपस्थिति का उपाय?—Pgs. 159



12. अधिवक्ता-न्यायाधीश-पुलिस भागीदारी—Pgs. 165



13. न्यायालय, केस एवं समय का प्रबंधन—Pgs. 171



14. अधीनस्थ न्यायाधीशों की संख्या/अतिरिक्त न्यायालयों का सृजन—Pgs. 177



15. भारत सरकार एवं सर्वोच्च न्यायालय के बीच टकराव का इतिहास : कारण एवं निवारण—Pgs. 180



16. अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ बनाम रिफॉर्मस नीडेड इन सबऑर्डिनेट जुडि​शियरी—Pgs. 185



17. Swet Patra of National Judicial Service Commission—Pgs. 188



18. हिंदी भाषी राज्यों के न्यायालयों की भाषा हिंदी हो—Pgs. 198

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Brijesh Bahadur Singh

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