Cart
Sign In
Compare Products
Clear All
Let's Compare!

Nootan Sadi Ke Navneet Shriguruji by Dr. Dhananjay Giri


MRP  
Rs. 400
  (Inclusive of all taxes)
Rs. 355 11% OFF
(1) Offers | Applicable on cart
Apply for a Snapdeal BOB Credit Card & get 5% Unlimited Cashback T&C
Delivery
check

Generally delivered in 5 - 9 days

  • ISBN13:9789390366088
  • ISBN10:9789390366088
  • Age:15+
  • Publisher:Prabhat Prakashan
  • Language:Hindi
  • View all item details
7 Days Replacement
This product can be replaced within 7 days after delivery Know More

Featured

Highlights

  • ISBN13:9789390366088
  • ISBN10:9789390366088
  • Age:15+
  • Publisher:Prabhat Prakashan
  • Language:Hindi
  • Author:Dr. Dhananjay Giri
  • Binding:Hardback
  • Pages:176
  • Edition:2021
  • Edition Details:2020-2021
  • SUPC: SDL966382771

Other Specifications

Other Details
Country of Origin or Manufacture or Assembly India
Common or Generic Name of the commodity History & Politics
Manufacturer's Name & Address
Packer's Name & Address
Marketer's Name & Address
Importer's Name & Address

Description

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरुजी द्वैत भी हैं, अद्वैत भी हैं। शैव भी हैं, शाक्त भी हैं। करुणा भी हैं और क्रांति भी हैं। ज्ञान भी हैं और कर्म भी हैं। साधना भी हैं और संघर्ष भी हैं। सपने भी हैं और सत्य भी हैं। श्रीगुरुजी धर्म और अध्यात्म की सामासिक अभिव्यक्ति हैं। परंपरा और प्रगति के प्रेरणापुंज हैं। उनका धर्म-कर्म, पूजा-पाठ केवल पौरोहित-प्रकल्प नहीं, बल्कि राष्ट्र-यज्ञ में जीवन को समिधा बना देने की संकल्प-साधना है। उनकी साधना इतिहास का एक सुंदरकांड है।
संघ-कार्य की नींव संघ के आद्य सरसंघचालक डॉ. हेडगेवार ने डाली, संघ को गढ़ा श्रीगुरुजी ने; डॉ. हेडगेवार ने संघ को सांगठनिक सूत्र दिया, शाखा-पद्धति दी, श्रीगुरुजी ने संघ को सिद्धांत और विस्तार दिया। आज संघ एक विराट् संगठन बन गया है; भारत का एक नियामक तत्त्व बन गया है। इसे नकारकर देश और समाज-जीवन की परिकल्पना नहीं की जा सकती है—संघ के इस स्थिति में पहुँचने में श्रीगुरुजी की दूरदृष्टि और आध्यात्मिकता की विशेष भूमिका है।
श्रीगुरुजी भाव के वो सागर हैं, जहाँ भाव की हर नदी आकर विलीन हो जाती है; सारी भावनाएँ जहाँ अभिव्यक्त हो जाना चाहती हैं, जहाँ सारे संपर्क, संबंध और संबोधन आकर मिल जाते हैं।
यह पुस्तक ऐसे आध्यात्मिक शिखरपुरुष, समाजधर्मी और पथ-प्रदर्शक श्रीगुरुजी के प्रेरणाप्रद जीवन की एक झलक मात्र है।

About Author
डॉ. धनंजय गिरि
चिंतन और कर्म की त्रिज्या बड़ी कर वृत्त बड़ा करना ही जीवन-ध्येय है। यह जीवन-वृत्त निरपेक्ष नहीं है। जीवन का कोई लक्ष्य नहीं होता। जीवन स्वयं ही एक लक्ष्य है। संज्ञा और सर्वनाम सभी सापेक्ष शब्द हैं। आत्मालाप, आत्मस्तुति, आत्मप्रवंचना से अलिप्त जागतिक अराजकता से दूर, जीव और जगत् के अंतर्संबंध को महसूसते सत्य को अपने पक्ष में करने के बजाय, सत्य के साथ खड़े होने की तैयारी।
जन्मतिथि : 13 मई, 1978
शिक्षा : एम.ए. हिंदी
शोध : इक्कीसवीं सदी की चुनौतियाँ और गुरुजी (माधवराव सदाशिव गोलवलकर) की प्रासंगिकता विषय पर पी-एच.डी.।
संकल्प : स्वच्छ, स्वस्थ, सुंदर, सबल, समर्थ, सुसंस्कृत, समरस और स्वावलंबी समाज का सृजन।
ध्येय : करने लायक कुछ लिखना और लिखने लायक कुछ करना।

Terms & Conditions

The images represent actual product though color of the image and product may slightly differ.

Quick links

Seller Details

View Store


Expand your business to millions of customers
Nootan Sadi Ke Navneet Shriguruji by Dr. Dhananjay Giri

Nootan Sadi Ke Navneet Shriguruji by Dr. Dhananjay Giri

Rs. 355

Rs. 400
Buy now