Cart
Sign In
Compare Products
Clear All
Let's Compare!

Ramdhari Singh Diwakar Ki Lokpriya Kahaniyan


MRP  
Rs. 180
  (Inclusive of all taxes)
Rs. 176 2% OFF
(1) Offers | Applicable on cart
Apply for a Snapdeal BOB Credit Card & get 5% Unlimited Cashback T&C
Delivery
check

Generally delivered in 5 - 9 days

  • ISBN13:9789353222734
  • ISBN10:9353222737
  • Publisher:Prabhat Prakashan
  • Language:Hindi
  • Author:Ramdhari Singh Diwakar
  • View all item details
7 Days Replacement
This product can be replaced within 7 days after delivery Know More

Featured

Highlights

  • ISBN13:9789353222734
  • ISBN10:9353222737
  • Publisher:Prabhat Prakashan
  • Language:Hindi
  • Author:Ramdhari Singh Diwakar
  • Binding:Paperback
  • Pages:176
  • SUPC: SDL557450601

Other Specifications

Other Details
Country of Origin or Manufacture or Assembly India
Common or Generic Name of the commodity General Fiction
Manufacturer's Name & Address
Packer's Name & Address
Marketer's Name & Address
Importer's Name & Address

Description

ग्रामीण जीवन के कथाशिल्पी रामधारी सिंह दिवाकर का, उनके ही द्वारा चयनित कहानियों का यह संग्रह उनकी आधी सदी की कथायात्रा का प्रतिनिधित्व करता है। सत्तर के दशक से कथा-लेखन में सक्रिय दिवाकरजी ने संक्रमणशील ग्रामीण यथार्थ को बहुत अंतरंगता से जाना-समझा है, और उसे अपनी कहानियों में विन्यस्त करने की कोशिश की है। बदलता हुआ ग्रामीण जीवन आज जिस मुहाने पर खड़ा है, वहाँ अजीब-सी बेचैनी है। गाँव को लेकर पुरानी अवधारणाएँ खंडित हो रही हैं। देखने-समझने के लिए नए मान-मूल्यों की आवश्यकता है। पंचायती राज व्यवस्था का युरोपिया, हिंसा-प्रतिहिंसा, भ्रष्टाचार, राजनीतिक दलबंदी, जातीय वैमनस्य, गरीबी, बेरोजगारी, मजदूरों का पलायन आदि नकारात्मक पक्षों ने गाँव को बदहाली के कगार पर ला खड़ा किया है। इन सबके बीच से नई चेतना की किरणें भी झाँकती दिखाई पड़ती हैं। लोकतांत्रिक नई चेतना ने गाँव की प्रताडि़त-प्रवंचित जातियों में एक नए आशावाद को जन्म दिया है। सबसे बड़ी बात हुई है दलित-पिछड़ी जातियों में अधिकार-चेतना, अस्मिता-बोध और स्वाभिमान का उदय। इस नवोन्मेष ने पुरानी सामंती व्यवस्था पर जबरदस्त चोट की है। गाँव की बोली-बानी को आत्मसात् करनेवाली दिवाकरजी की कथाभाषा में आत्मीयता और प्रवाह है। नब्बे के दशक के बाद ग्रामीण संवेदना में आए परिवर्तन और प्रत्यावर्तन को देखना-समझना हो तो उनकी कहानियाँ प्रामाणिक दस्तावेज के रूप में दर्ज की जाएँगी।

About the Author

रामधारी सिंह दिवाकर

जन्म : अररिया जिले (बिहार) के एक गाँव नरपतगंज में पहली जनवरी 1945 को एक मध्यवर्गीय किसान परिवार में।

शिक्षा : एम.ए., पी-एच.डी. (हिंदी)।

कृतित्व : मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा में प्रोफेसर एवं हिंदी विभागाध्यक्ष पद से 2005 में अवकाश-ग्रहण। अरसे

तक बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, पटना के निदेशक रहे।

पहली कहानी ‘नई कहानियाँ’ पत्रिका

के जून 1971 के अंक में छपी। तब से अनवरत लेखन। हिंदी की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं

में शताधिक कहानियाँ, उपन्यास आदि प्रकाशित।

रचना-संसार : पंद्रह कहानी-संग्रह; सात उपन्यास; ‘मरगंगा में दूब’ (आलोचना); ‘जहाँ अपनो गाँव’ (कथावृत्त-संस्मरण)। कई कहानियाँ विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनूदित-प्रकाशित। दिल्ली दूरदर्शन द्वारा ‘शोकपर्व’ कहानी पर टेलीफिल्म। ‘मखानपोखर’ कहानी पर भी फिल्म बनी। पटना में स्थायी निवास।

अन्य प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत।

संपर्क : ए-303, वृंदावन अपार्टमेंट फेज-2, मलाही पकड़ी, कंकड़बाग, पटना-800020

Terms & Conditions

The images represent actual product though color of the image and product may slightly differ.

Quick links

Seller Details

View Store


Expand your business to millions of customers
Ramdhari Singh Diwakar Ki Lokpriya Kahaniyan

Ramdhari Singh Diwakar Ki Lokpriya Kahaniyan

Rs. 176

Rs. 180
Buy now