Cart
Sign In
Compare Products
Clear All
Let's Compare!

Suno Re


MRP  
Rs. 199
  (Inclusive of all taxes)
Rs. 189 5% OFF
(1) Offers | Applicable on cart
Apply for a Snapdeal BOB Credit Card & get 5% Unlimited Cashback T&C
Only 1 Items Left
Delivery
check

Generally delivered in 1 - 3 days

  • ISBN13:9788195153558
  • ISBN10:9788195153558
  • Publisher:StoryMirror Infotech Pvt. Ltd.
  • Language:English
  • Binding:Paperback
  • View all item details
7 Days Replacement
This product can be replaced within 7 days after delivery Know More

Featured

Highlights

  • ISBN13:9788195153558
  • ISBN10:9788195153558
  • Publisher:StoryMirror Infotech Pvt. Ltd.
  • Language:English
  • Binding:Paperback
  • SUPC: SDL651169841

Other Specifications

Other Details
Country of Origin or Manufacture or Assembly India
Common or Generic Name of the commodity Poetry
Manufacturer's Name & Address
Packer's Name & Address
Marketer's Name & Address
Importer's Name & Address

Description

About Book:

कविता, कवि के हृदय मे उपजे अमूर्त मनोभावों को मूर्त-रूप देने की एक विधा है। इन मनोभावों में कभी प्रेम दिखता है तो कभी आक्रोश, कहीं प्यास होती है तो कहीं तृप्ति, कहीं आशा होती है तो कहीं हताशा, कहीं संदेह होता है तो कहीं अटूट आत्म-विश्वास। कवि का भावुक मन अपने इर्द-गिर्द के वातावरण के प्रति सर्वथा संवेदन शील रहता है और जब कभी ये भावनाएं एक सीमा से अधिक तीव्र ही जाती हैं तो अनायास ही कविता के रूप में बह चलती हैं। 'सुनो रे' बालकृष्ण मिश्र द्वारा पिछले दो दशकों में रचित कविताओं का संकलन है, जो पाठकों को सार्थक एवं रूपांतर-कारी चिंतन के लिए अवश्य प्रेरित करेगा।
About the Author:

29 जून, 1969 को प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश में जनमे बालकृष्ण मेकैनिकल एवं कम्प्ययूटर इंजीनियरिंग में स्नातक हैं। तदनंतर उन्होंने सी. एफ़. ए. की भी उपाधि प्राप्त की। लगभग पंद्रह वर्षों तक एन. टी. पी. सी. लिमिटेड तथा स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड में कार्यरत रहे। वर्ष 2008 में गुरु पूज्य स्वामी सुखबोधानन्द के सान्निध्य से उनके जीवन को नयी दृष्टि, दिशा और लक्ष्य मिला। विभिन्न मंचों पर काव्य पाठ किया एवं अनेक रचनाएँ प्रकाशित भी हुयीं। वर्ष 201९ में उनके द्वारा हिन्दी में अनूदित उनके परम-गुरु पूज्य स्वामी दयानन्द सरस्वती कृत केनोपनिषद के भाष्य का प्रकाशन। आत्मबोधपरक लेखों एवं प्रवचनों का स्पीकिंग-ट्री कॉलम में प्रकाशन। योग एवं वेदान्त की समावेशी, सार्वभौमिक एवं कल्याणकारी दृष्टि को जन-जन तक पहुंचाने तथा लोक-सेवा के ध्येय से 2019 में वेदान्त विद्या संस्थान ट्रस्ट की स्थापना। हिन्दी-केनोपनिषद के लिए 'उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान' द्वारा काका कालेलकर सर्जना पुरस्कार से सम्मानित।

Terms & Conditions

The images represent actual product though color of the image and product may slightly differ.

Quick links

Seller Details

View Store


Expand your business to millions of customers