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THE SOLDIERS : WHO ALSO HAVE HEART'S By KUSUM CHAUHAN (ANJU)


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  • ISBN13:9789355350428
  • ISBN10:NA
  • Age:10
  • Publisher:Booksclinic Publishing
  • Language:Hindi
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Highlights

  • ISBN13:9789355350428
  • ISBN10:NA
  • Age:10
  • Publisher:Booksclinic Publishing
  • Language:Hindi
  • Author:KUSUM CHAUHAN (ANJU)
  • Binding:Paperback
  • 291
  • THE SOLDIERS : WHO ALSO HAVE HEART'S
  • Type:Literary Fiction
  • BIS/ISI License number:NA
  • BIS/ISI required:NA
  • SUPC: SDL724129615

Other Specifications

Other Details
Country of Origin or Manufacture or Assembly India
Common or Generic Name of the commodity Literature & Fiction
Manufacturer's Name & Address
Packer's Name & Address
Marketer's Name & Address
Importer's Name & Address

Description

"एक फौजी अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए खुद की जान तक को न्यौछावर करने से पहले एक पल भी नहीं सोचता है। वह नहीं सोचता है होने वाले अंजाम को! सच कहे तो हमारे लिए भी एक फौजी होने की अवधारणा मात्र यही है कि वह फ़ौजी है और देश के लिए बलिदान देना उसका कर्तव्य! पर क्या बात सिर्फ बलिदानी में आकर ख़त्म हो जाती है? क्या देश के एक सिपाही की मात्र इतनी सी परिभाषा है?
क्या कभी सोचा है कि शहादत के बाद की उस कहानी को जिसे उस शहीद हुए फ़ौजी का परिवार जीता है। क्या सोचा है उस माँ के दर्द को जिसके सामने उसका जिगर का टुकड़ा तिरंगे में लिपटा हो, कभी सोचा है उस बाप की तकलीफ़ को जिसने कंधे पर बिठाकर बचपन की सैर कराई हो और वही बाप बेटे की भरी जवानी में उसकी अर्थी को कंधा दे रहा हो, उस दर्द का भी कोई हिसाब ना होंगा, जिसने मांग में सिंदूर भरवाकर उस फ़ौजी से, बाद उसके खुद मिटाया हो, ना हिसाब होंगा उस दर्द का जो हर बरस रक्षाबंधन के पर्व पर उसकी बहन होंगा! कोई अंदाजा भी ना लगा पाओगे उन मासूमों की तकलीफ़ का जिन्होंने “पापा कब आएंगे” का सवाल हर वक्त अपनी माँ से किया होंगा।
हमारे लिए फ़ौजी वह है जिसने खुद को इतना मजबूत बना दिया होता है कि उसे किसी भावना से कोई फ़र्क नहीं पड़ता है। हम ना जाने फौजियों को किन-किन उपनामों की उपाधि दे देते है जैसे कि - फ़ौलादी सीने वाला, भावनाहीन, कठोर, गुस्सेल, सनकी ना जाने क्या-क्या बोल देते है पर क्या कभी सोचा है कि उस फ़ौलादी सीने वाले और सनकी के अंदर भी एक दिल होता है? क्या सोचा है कि उसे भी कभी तकलीफ़ होती होंगी?
“हर तकलीफ़ वह हंस कर सह जाता है,
अपनों के लिए खुद कुर्बान हो जाता है!
सीने में उसके हमेशा शोला भड़कता है,
मगर दिल तो उस सीने में भी धड़कता है!”

यह कहानी है एक ऐसे जवान की जिसका फ़ौज में जाना कोई सपना नहीं था बल्कि एक हादसे ने जिसकी पूरी सोच और जिंदगी को देखने का नजरिया ही बदल दिया और ना चाहते हुए भी आखिर फ़ौज में चला ही गया और बन गया इस देश का एक सच्चा सिपाही। लेकिन उसके सच्चा सिपाही बनने की कहानी मात्र इतनी सी भी नहीं थी, अपितु बहुत कुछ खोकर ही उसने सच्चा सिपाही होने की उपाधि हासिल की थी।
यह कहानी मात्र उस फ़ौजी की वीरता की ही नहीं, बल्कि कहानी है दोस्ती की, परिवार की और असल मायनों में उस फौजन के कर्तव्य की, उसकी निष्ठा और उसके प्यार और त्याग की, जो पीछे उस फ़ौजी के निभाती है हर कर्तव्य मुस्कुराते हुए। एक फौजी गर खड़ा रहता है सरहदों पर तो ढाल बनकर खड़ी रहती है उस फ़ौजी के परिवार के लिए।।
“कभी बीवी, कभी बहु तो कभी बेटा बन जाती है,
सबको देकर खुशियाँ, खुद अकेले में आंसू बहाती है,
साहब वह फौजन है जो हर किरदार बखूबी अदा कर जाती है!!”
✍️ कुसुम चौहान "

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